New Property Law 2023 : यूपी सरकार ने प्रोपर्टी को लेकर बनाया नया कानून, अब बच्चों को नहीं मिलेगा माता-पिता की संपत्ति में हक
New Property Law : प्रदेश में केंद्र सरकार का माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण एवं कल्याण अधिनियम, 2007 लागू है। इसे राज्य में 2012 से लागू किया गया है। इस अधिनियम के नियम वर्ष 2014 में जारी किये गये थे।दरअसल, केंद्र सरकार का माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम, 2007 राज्य में लागू है। यह राज्य में 2012 से लागू किया गया है। अधिनियम के लिए नियम 2014 में जारी किए गए थे।
Bestrojgar, New Delhiराज्य सरकार बूढ़े माता-पिता या वरिष्ठ नागरिकों पर अत्याचार करने वाले बच्चों और रिश्तेदारों को संपत्ति से बेदखल करने की प्रक्रिया को आसान बनाने जा रही है। इसके लिए सरकार उत्तर प्रदेश माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण और कल्याण नियमावली-2014 में संशोधन करने जा रही है।
New Property Law : मुख्यमंत्री ने समाज कल्याण विभाग को निर्देश दिया है कि संशोधन प्रस्ताव को कैबिनेट (कैबिनेट) के समक्ष रखने से पहले महाधिवक्ता से परामर्श किया जाए।इसके तहत उप जिलाधिकारी की अध्यक्षता में भरण-पोषण अधिकरण का गठन किया गया है। जिले में डीएम की अध्यक्षता में अपीलीय न्यायाधिकरण हैं।राज्य में गठित राज्य सातवें विधि आयोग ने 4 दिसंबर, 2020 को इस नियम में तीन संशोधनों की सिफारिश की थी। विधि आयोग ने 2014 में बनाए गए नियमों को केंद्रीय अधिनियम के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं माना था।
विधि आयोग ने नियम 22-ए, 22-बी और 22-सी के नियम 22 के बाद विस्तार की सिफारिश की है। इसमें वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल नहीं करने पर बच्चों या रिश्तेदारों को उस संपत्ति से बेदखल करने का प्रावधान है, जिस पर वरिष्ठ नागरिकों का कानूनी अधिकार है। बेदखली के लिए आवेदन ट्रिब्यूनल के समक्ष किया जा सकता है।
यह हैं प्रस्तावित संशोधन-
New Property Law : वरिष्ठ नागरिक अपनी संपत्ति से बच्चों और रिश्तेदारों को बेदखल करने के लिए ट्रिब्यूनल में आवेदन कर सकते हैं। अगर वरिष्ठ नागरिक खुद से आवेदन नहीं कर पाते हैं तो कोई भी संस्थान अपनी तरफ से भी इस तरह का आवेदन दाखिल कर सकता है। न्यायाधिकरण के पास बेदखली के आदेश जारी करने की शक्ति होगी।
यदि कोई व्यक्ति आदेश जारी होने की तारीख से 30 दिनों के भीतर वरिष्ठ नागरिक की संपत्ति से बेदखली के आदेश का पालन नहीं करता है, तो ट्रिब्यूनल पुलिस की मदद से उस संपत्ति को अपने कब्जे में ले सकता है।संबंधित पुलिस भी निष्कासन आदेश का पालन करने के लिए बाध्य होगी। ट्रिब्यूनल ऐसी संपत्ति बुजुर्गों को सौंप देगा। जिलाधिकारी अगले महीने की सात तारीख तक ऐसे मामलों की मासिक रिपोर्ट शासन को भेजेंगे।वरिष्ठ नागरिक ट्रिब्यूनल के आदेश के खिलाफ जिला मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में गठित अपीलीय न्यायाधिकरण में अपील कर सकते हैं।
ज्वाइंट हिंदू फैमिली पर ही लागू होगा सुप्रीम कोर्ट का फैसला
New Property Law : हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 के तहत, एक विवाह को दो आधारों पर अमान्य माना जाता है – एक शादी के दिन से और दूसरा जिसे अदालत द्वारा डिक्री द्वारा अमान्य घोषित किया जाता है।हिंदू उत्तराधिकार कानून के आधार पर, अमान्य विवाह में पैदा हुए बच्चे माता-पिता की संपत्ति का दावा कर सकते हैं।हालांकि, कोर्ट ने यह भी कहा कि उसका फैसला हिंदू मिताक्षरा एक्ट के तहत संयुक्त हिंदू परिवार की संपत्तियों पर ही लागू होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि अवैध विवाह से पैदा हुए बच्चे का अपने माता-पिता की अर्जित और पैतृक संपत्ति में अधिकार होगा। ऐसे मामलों में बेटियां भी संपत्ति की समान रूप से हकदार होंगी।इस अधिनियम के तहत, अवैध विवाह से पैदा हुए बच्चे केवल अपने माता-पिता की संपत्ति के हकदार हैं। माता-पिता का किसी अन्य संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं है।
निष्कर्ष – New Property Law 2023
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Source:- Internet
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