Success idea 2023 : जेब में नहीं थे ₹200, नहीं दिला पाए पत्नी को जूते, उधार ले शुरू किया काम, अब 25 करोड़ सालाना कमाता है यह बंदा , पूरी जानकारी यहाँ
Success idea : सफल होने के लिए कड़ी मेहनत तो जरूरी है ही, साथ ही आने वाली मुश्किलों का सामना करने की भी जरूरत है। हो सकता है कि आपको अपनी कड़ी मेहनत और कड़ी मेहनत के बावजूद मनचाहा परिणाम न मिले। व्यापार में हमेशा असफलता का खतरा बना रहता है। लेकिन, जो असफलता से निराश नहीं होता, मैदान में डटा रहता है और सफल होने का सपना नहीं छोड़ता, वह एक दिन सफल व्यवसायी जरूर बनेगा। फूड स्टार्टअप मोमोमिया के संस्थापक देबाशीष मजूमदार इसका जीता-जागता उदाहरण हैं। जेब में 200 रुपये नहीं होने की वजह से अपनी पत्नी के लिए जूते नहीं जुटा पाने वाले देबाशीष आज हर साल करोड़ों रुपये कमाते हैं।
Success idea : एक निम्न वर्गीय बंगाली परिवार में जन्मे देबाशीष का बचपन से ही बिजनेसमैन बनने का सपना था। हालांकि परिवार चाहता था कि वह पढ़-लिखकर अच्छी नौकरी करे ताकि परिवार का गुजारा ठीक से हो सके। देबाशीष के दादा अक्सर कहा करते थे कि एक व्यक्ति को अपना नाम बनाने पर अधिक ध्यान देना चाहिए, न कि पैसा बनाने पर। नाम अमिट बना हुआ है। उनकी बातों का देबाशीष पर गहरा असर हुआ। वह बिजनेसमैन बनने का सपना देखने लगा। हालांकि, घर पर स्थितियां ऐसी नहीं थीं कि वे व्यवसाय शुरू कर सकें।
पहली जॉब में पगार थी 1800 रुपये महीना
Success idea : कुछ साल काम करने के बाद उन्होंने नौकरी छोड़ दी। जब उन्होंने नौकरी छोड़ी थी तब उन्हें एक लाख रुपये महीने की सैलरी मिल रही थी। अपनी सारी बचत के साथ, उन्होंने वर्ष 2016 में एक आइसक्रीम स्टार्टअप शुरू किया। इसमें उन्होंने अपनी सारी जमा पूंजी लगाने के साथ-साथ कुछ पैसे उधार भी लिए। लेकिन, दुर्भाग्य से, यह काम नहीं किया। एक साल में देबाशीष को इसे बंद करना पड़ा। उसे कुल 8 लाख रुपये का नुकसान हुआ और वह कर्ज में दब गया।
पत्नी को जूते दिलाने के नहीं बचे पैसे
Success idea : आइसक्रीम स्टार्टअप फेल होने पर देबाशीष की हालत खराब हो गई। एक बार त्योहार पर नए जूते लेने के लिए उनके पास 200 रुपये भी नहीं होते थे। आर्थिक तंगी के कारण वह अपनी मां का ऑपरेशन भी नहीं करा पाए। कर्ज का बोझ ऊपर से अलग होता है। उन्होंने कुछ दिन इसी तरह घर पर बिताए। लेकिन, एक रात उन्होंने अपनी पत्नी और मां के सामने फिर से बिजनेस करने की इच्छा जाहिर की। दोनों ने देबाशीष का हौसला बढ़ाया और कुछ करने में उनका साथ देने का वादा भी किया।
ऐसे आया बिजनेस आईडिया
देबाशीष मजूमदार गुवाहाटी के एक रेस्तरां में गए थे। वहां उन्होंने मोमोज ऑर्डर किए। उन्हें रेस्तरां द्वारा परोसे जाने वाले मोमोज की गुणवत्ता और स्वाद दोनों पसंद नहीं थे। तभी उनके दिमाग में मोमोज आउटलेट शुरू करने का विचार आया। मोमोज की बढ़ती लोकप्रियता के साथ, उन्हें यकीन हो गया कि अगर वे अच्छी गुणवत्ता और विविधता के साथ अच्छे मोमोज देते हैं, तो बहुत बिक्री होगी।
3.5 लाख लगा शुरू किया मोमोमिया
2018 में, देबाशीष ने गुवाहाटी में मोमोमिया का पहला आउटलेट खोला। उन्होंने 10 प्रतिशत वार्षिक ब्याज पर 3.5 लाख रुपये का लोन लेकर यह काम शुरू किया था। उसका सेल ठीक हो रहा था। उन्हें पहले दो साल काफी मेहनत करनी पड़ी। साल 2020 तक उनका कारोबार जम गया था। उसी वर्ष, मोमोमिया का पहला फ्रैंचाइज़ी आउटलेट खोला गया था। इसके बाद मोमोमिया रॉकेट की रफ्तार से आगे बढ़ा।
100 से ज्यादा आउटलेट, 25 करोड़ सालाना कमाई
आज, मोमोमिया के देश भर में 100 से अधिक आउटलेट हैं। देबाशीष मोमोमिया की फ्रेंचाइजी देते हैं। उन्हें एक फ्रेंचाइजी से फ्रेंचाइजी फीस के रूप में 2.5 लाख रुपये मिलते हैं। उन्हें कुल बिक्री पर पांच प्रतिशत रॉयल्टी मिलती है। मोमोमिया आउटलेट्स पर आपको मोमोज की ढेरसारी वैराइटी मिल जाएंगी। आज देबाशीष की कंपनी मोमोमिया का टर्नओवर सालाना 25 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। वे अब लगभग 400 लोगों को रोजगार प्रदान कर रहे हैं।
निष्कर्ष –Success idea 2023
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Source:- Internet
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